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इम्तिहान

देकर सितम खुदा तेरा इम्तिहान लेगा,
वो वक्त भी गुजरा था ये वक्त भी गुजरेगा
बस आज जो तुम ये वक्त के सितम सहोगी
कल भी खुशी थी फिर कल भी खुशी होगी
दरिया ये गमों का कभी ना कभी तो खोखला होगा
अभी घनी अंधेरी रात है, कल फिर नया सवेरा होगा....
अब भी अकेले अगर उस कोने में तू रोएगी
खोकर जो तेरे पास बचा उनको भी क्या अब खोएगी?
जो हो चुका सो हो चुका, उसको ना तू बदल पाएगी
बचा जो हाथ में तेरे उसको तभी सम्भाल पाएगी
चलना है पकड़कर तुझे अब हाथ उनके
भविष्य है बचा तेरा अब साथ जिनके
झेलते हैं ग्रहण वो सूर्य और वो चंद्रमा भी
है आगोश में आता श्याम मेघों के आसमाँ भी
होता ना कभी ये आखिरी वक्त उनका
छंटता अंधेरा दिखता वही फिर तेज उनका
वक्त एक सा कभी ना रहता है
पतझड़ का पेड़ भी फूल उगलता है
  @prabhat

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