नृप निरंकुश नित विनाश देख
क्षण क्षण कटती ये श्वास देख
मुख मलित मधु बाण देख
रक्त रंजित ये विषाण देख
बुनता काल का जाल देख
तांडव का बजता ताल देख
हृदयकुंठित पाषाण देख
शोणित भुजंग कृपाण देख
कुंठित कुपित कपाल देख
मस्तक पर बैठा काल देख
भू-वक्ष समाहित बाण देख
नृशंसता के निशान देख
जग बनते श्मशान देख
मनु को बनते राख देख
लाल लहू ललाट देख
खड्ग से अहम की काट देख
होते शून्य विशाल देख
चिरती जुल्म की खाल देख
काल का खुलता कपाट देख
शमशीर धार की काट देख
सप्त अश्वों का घमासान देख
तम रहित वसुधा का गान देख
ताप विहीन मार्तण्ड देख
मद मान को होते खण्ड देख
होते शक्ति का ह्रास देख
होते शासन सर्वनाश देख
शिशुओं की करूण कराह देख
वर्ण भोर का स्याह देख
परशु संग आता राम देख
साथ सुदर्शन श्याम देख
गांडीव का तू वार देख
सुरपति का वज्र प्रहार देख
डम डम डमरू का निनाद देख
बनते रुद्र महाकाल देख
हरि का दशवां अवतार देख
कल्कि को बनते काल देख
श्वेत वर्ण कंकाल देख
काल स्वप्न साकार देख
जनता की क्रांति पुकार देख
विनाश की हुंकार देख
देख क्रांति की अलख देख
धरती से अम्बर तलख देख
ले शस्त्र लिए है हाथ खड़ा
प्रलय भी उसके साथ खड़ा
छीनने तुझसे स्वतन्त्रता को
वो चीर रहा परतन्त्रता को
है सम्भव तो रोक उसे
है बस में तो टोक उसे..
है प्रलय आज तो आने को
सुर लोक तुझे पंहुचाने को..
समझ उसे कमजोर रहा तू
कर भूल भयंकर चूक रहा तू...
शांत तू शमशान देख
अरि विजय का गान देख
भूतल पर रक्त प्रपात देख
पड़ मनुजों का अकाल देख
बिन धड़ पड़ा कंकाल देख
गिद्धों के झुंड विशाल देख
है हुआ विश्व रुदण सारा
रक्ताभ हुआ समंदर खारा
......Prabhat Deundi & Vijay Rawat