हल्दी की जब हुई तैयारी
बापू संग में भी रोई थी
द्वार पार सब अपने थे
द्वार इधर पति जी बस तुम अपने हो
लेने आये पति जी तुम मुझको जो
सात वचन दो पहले मुझको
बस सात वचन ही तो लिए थे तुमनें
और मान लिया सबकुछ तुम्हीं को
बचपन को छोड़ दिया सब वक़्त तुम्हें
पहला वचन लेते ही तो स्वीकार तुमको अपना
तो दो वाम पक्ष तुम अपना
अक्षत,पुष्प, तिल, जौ मान अग्नि को पवित्र साक्षी
लिया वचन दूसरा जब तुमने
सम्मान करेगें अब हम सबका
तो दो वाम पक्ष तुम अपना
काटेंगे सब पड़ाव जीवन के,युवा,प्रोढ़, वृद्ध सभी अवस्था
ध्यान रखोगे जीवन भर मेरा
तो दो वाम पक्ष तुम अपना
निभाया कर्म पिता ने अब तक
लोगे तुम अब अहसास मेरा?
स्वीकार करो गर वचन चारवां
तो दो वाम पक्ष तुम अपना
दोगे क्या तुम बराबरी का दर्जा
लो मांगा मैंने वचन पाँचवा
स्वीकार गर ,तो दो वाम पक्ष तुम अपना
रहूं साथ सखी गलियन के कभी
न करोगे तुम अपमान कभी
माँग रही हूं वचन छठवां
स्वीकार गर,तो दो वाम पक्ष तुम अपना
बापू संग में भी रोई थी
द्वार इधर पति जी बस तुम अपने हो
लेने आये पति जी तुम मुझको जो
सात वचन दो पहले मुझको
बस सात वचन ही तो लिए थे तुमनें
और मान लिया सबकुछ तुम्हीं को
बचपन को छोड़ दिया सब वक़्त तुम्हें
पहला वचन लेते ही तो स्वीकार तुमको अपना
तो दो वाम पक्ष तुम अपना
अक्षत,पुष्प, तिल, जौ मान अग्नि को पवित्र साक्षी
लिया वचन दूसरा जब तुमने
सम्मान करेगें अब हम सबका
तो दो वाम पक्ष तुम अपना
काटेंगे सब पड़ाव जीवन के,युवा,प्रोढ़, वृद्ध सभी अवस्था
ध्यान रखोगे जीवन भर मेरा
तो दो वाम पक्ष तुम अपना
निभाया कर्म पिता ने अब तक
लोगे तुम अब अहसास मेरा?
स्वीकार करो गर वचन चारवां
तो दो वाम पक्ष तुम अपना
दोगे क्या तुम बराबरी का दर्जा
लो मांगा मैंने वचन पाँचवा
स्वीकार गर ,तो दो वाम पक्ष तुम अपना
रहूं साथ सखी गलियन के कभी
न करोगे तुम अपमान कभी
माँग रही हूं वचन छठवां
स्वीकार गर,तो दो वाम पक्ष तुम अपना
छाव बनेगे एक दूजे के हम
न आये कभी इसमे तीज
माँग रही हूँ वचन सातवां
#विजय रावत....