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अस्वीकृति भाग 1

आज उसे एहसास हुआ कि उसकी इतने सालों से चली आ रही उसकी  विचारधारा उसके लिए अब बदल गई
जो कुछ भी इज़्ज़त वो उसकी करता था आज वह उसके एक-एक अलफ़ाज़ केे साथ औंस की बूँदों की तरह धीरे-धीरे पिघल कर खत्म होती जा रही थी उसका अतीत किसी फिल्मी दृश्यों के समान उसके सामने से गुजर रहा था  वो उससे हताश नहीं था खुद से था क्योंकि वो पहली बार गलत साबित हुआ!
 उधर से फ़ोन पर आवाज आई हेलो ! हेलो!.......
पर वो जान चुका था और इतना सोचते ही उसने फ़ोन काट दिया|इतना सोचते ही उसने फ़ोन काट दिया|
‌वो साथ तो थे पर नदी केे दो किनरो की तरह जो कभी आपस में नहीं मिले, पर अब दोनों के रास्ते अलग हो चुके थे प्रभात ने अब उससे कभी न मिलने की क़सम खा ली थी,  उस दिन के बाद वो बस अपने में ही रहता, वक़्त बदलता गया और इसी केे साथ प्रभात का कॉलेज भी पूरा हो गया और आगे की पढ़ाई के लिए वह दूसरे शहर चला गया|
‌5 साल बाद ,
‌ जो वो कभी नही चाहता था वही हुआ अचानक उसे शॉपिंग मॉल में रानी मिल गयी  हलाकी उसने नजर चुराने की पूरी कोशिश की पर वो रानी की नजरो से बच नहीं सका रानी ने उसे आवाज लगाई प्रभात!!!!!!!!!
‌दो तीन आवाज के बाद प्रभात उसकी तरफ ऐसे मुडा जैसे उसने पहले उसे देखा ही नही....
‌रानी-     कैसे हो ?  और कहाँ गायब हो गये थे तुम और अचानक.........( सवालो की बौछार करते हुए)
‌उसने तो उसे बोलने का भी समय न दिया|प्रभात रानी केे सवालो का जवाब देता कि तभी पीछे से आवाज़ आयी 

"प्रोफेसर चलिये देर हो रही है
दो-तीन दिन बीत गए पर प्रभात मन में कुछ चल रहा था। शायद उसे उससे बात करनी चाहिए थी या नहीं ... इसी कशमकश में उसने अपने लैपटॉप को खोला उसे 1 मेल मिला जिसमें लिखा था
           " शाम 6:00 बजे डीलक्स कॉफी शॉप पर मिलना शायद आखरी बार"......
प्रभात जानता था कि यह किसका मेल था आज ट्रैफिक काफी था इसलिए प्रभात को पहुंचने में 5 मिनट की देरी हो गई
 प्रभात - सॉरी मुझे लेट हो गई ट्रेफिक कुछ ज्यादा ही था
रानी - कोई बात नहीं मैं भी अभी आई हूं|
 प्रभात- इस शहर में कैसे आना हुआ
रानी -मुझे यहां 6 महीने हो गई है मैं अपने परिवार के साथ रहती हूं
 प्रभात- उसकी मांग के सिंदूर को देखकर " तुम्हारी शादी हो गई"
 रानी- हां 3 साल पहले शादी हुई ,मैं उन्हीं के साथ यहां रहती हूं
 प्रभात -"एक स्माइल के साथ" तो कैसी चल रही है तुम्हारी शादीशुदा जिंदगी
रानी- बहुत सुंदर और बहुत खुश हूं
 (प्रभात -उसके माथे के सिलवटों को देखकर समझ आता है)
 प्रभात -तो क्या पीना चाहोगे आज इतने समय बाद
 रानी- वही पुरानी कॉपी
प्रभात- वेटर टू काफी!!!
 प्रभात - तुमने कभी बताया नहीं तुम्हारी शादी हो चुकी है रानी -   उस दिन के बाद कभी बताने का मौका ही नहीं मिला तुम बताओ तुम ने शादी करी या नहीं?
 प्रभात -  नहीं !  अभी नहीं अभी तो यहीं कॉलेज में हूं सोच रहा हूं अगले साल तक शायद!!!!!
 (बातें आगे बढ़ी थी क्या जानू रानी के फोन की घंटी बजती है)
 रानी- हेलो!!!!!
         हां ठीक है!
           10 मिनट में पहुंचती हूं मैं
 प्रभात-    क्या हुआ किसकी कॉल आई थी
 रानी-      इनकी कॉल आई है कुछ इमरजेंसी काम है मुझे जाना हुआ सॉरी पर बात अगली बार मिलते हैं
 प्रभात-  okey !  और आधे कॉफी के प्यालों को छोड़कर जल्दी कार का दरवाजा खोला 19s के पुराने गाने लगाइए जो कि वह कॉलेज के दिन में सुनता था
और एक लॉन्ग ड्राइव पर निकल पड़ा उन्हीं याद के साथ जो उसने 5 साल पहले किसी कब्र में दफन कर दी थी.......

                 ( प्रभात आगे _लेखक पीछे)

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