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चिरबिटया भाग 1

                        चिरबिटया.....

 अगर हम रुके तो सब खत्म हो जाएगा,यह कहकर रवि ने एक लंबी सांस ली और  राजू की तरफ देख कर कहा ये आज से 20 साल पहले की बात है, (राजू रवि का छात्र है और दोनो में अच्छी दोस्ती है)  बाकी की कहानी कभी और सुनाऊँगा अभी देर हो रही है यह कहकर रवि उस पत्थर से उठता है जिस पर वो आधे घण्टे से बैठा था वह पूरा थका हुआ है पर चिरबिटया अभी काफी दूर है,रवि कहता है कि वो 20 साल पहले भी यहाँ चुका है   
पर अब अब लगता है सब कुछ खत्म हो चुका है, 20 साल पहले नितिन की सारी बाते उसे याद आने लगी,
मौसम बदल रहा है सर हमें जल्दी चलना होगा राजू ने रवि को जोर से आवाज लगाई , दोनों बाईक के लंबे सफर को पार करके यहाँ तक पहुँचे थे ।आसमान में चारों तरफ काले बादल अचानक ही घिर आये थे  राजू कुछ समझता कि रवि ने कहा अपना रेन कोट पहन लो यहाँ कभी भी बारिश हो सकती है
सर बारिश होने वाली है और थोड़ी ही देर में रात हो जाएगी हमें रुकने के लिए कोई जगह ढूढ़नी होगी  रवि कहता है तुम्हें यहाँ रहने के लिए कुछ भी नही मिलेगा यहाँ कोई नही रहता
 रवि पीछे देखता है तो राजू उसके साथ नही रहता ...........
सर् सर् देखिये मुझे यहाँ एक झोपड़ी मिल गयी आज रात हम यहाँ रुक सकते हैं  राजू दूर से आवाज लगा कर बोला,
पर रवि को कुछ समझ नही आया कि इस वीरान जगह में ये झोपड़ी किसकी हो सकती है पर थकान से शरीर के चकनाचूर होने के कारण बिना कुछ सोचे ही राजू के साथ झोपड़ी की तरफ बढ़ता है। और तभी बारिश तेजी से शुरू होने लगती है।
सर देखिए मेरा रुकने का आइडिया सही निकला।
 रवि ने वहां पड़ी लकड़ीयो से आग जलाई ओर दोनो उस ठंड में आग के पास बैठ गये,राजू रुक रुक कर खाँसते हुए उफ...उफ... सर् उसके बाद क्या हुआ, पर रवि पता नहीं आग की तरफ देख कर क्या सोच रहा था कि उसने राजू की बात सुनी तक नही ऐसा लग रहा था कि रवि यहाँ पर है ही नही। सर्..... रवि के कँधे पर हाथ रखते हुए राजू बोला, कहाँ खो रखे हैं सर् आप  यहाँ आने के बाद आप बिलकुल बदले बदले नजर आ रहे हैं आप ठीक तो हैं ना...........

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