जो शब्द अर्थ की दृष्टि से समान होते हैं, पर्यायवाची या समानार्थी शब्द कहलाते हैं। यद्यपि पर्यायवाची शब्द समानार्थी होते हैं किन्तु भावानुसार ये एक दूसरे से किंचित भिन्न भी हो सकते हैं। पर्यायवाची शब्द को 'प्रतिशब्द' भी कहते हैं। ये शब्द अधिकांशतः रूढ़ शब्द होते हैं और किसी वस्तु के गुण, रूप, अवस्था आदि को देखकर उसके पर्यायों का जन्म होता है। हिन्दी के पर्यायवाची शब्द अधिकतर संस्कृत के तत्सम शब्द होते हैं, जिन्हें हिन्दी भाषा ने ज्यों का त्यों ग्रहण कर लिया है। पर्यायशब्दों का प्रयोग औचित्य पर निर्भर करता है, अन्यथा अर्थ का अनर्थ हो जाता है जैसे जंगल में हय दौड़ रहे हैं। इस वाक्य में 'हय' शब्द घोड़े का पर्यायवाची है परन्तु यहाँ इसका प्रयोग उपयुक्त नहीं है इसका सही प्रयोग 'जंगल में घोड़े दौड़ रहे हैं' होगा। । अतः अर्थ की समानता होते हुए भी पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग एक दूसरे की जगह नहीं भी हो सकता। विभिन्न परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण पर्यायवाची शब्दों की सूची अधोलिखित हैं। यथा प्रयायवाची शब्द अरण्य : वन, जंगल, कानन, विपिन, अटवी, कांतार, गहन