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पृथ्वी की आंतरिक संरचना व चट्टाने

    पृथ्वी की आंतरिक संरचना व चट्टाने

पृथ्वी की आन्तरिक संरचना

पृथ्वी की संरचना एवं उसका संघटन भू-गर्भ वैज्ञानिकों एवं भू-भौतिक वैज्ञानिकों के बीच हमेशा विवाद का विषय रहा है। इसकी वास्तविक स्थिति तथा बनावट के विषय में सही अनुमान लगाना बहुत ही मुश्किल/कठिन कार्य है, क्योंकि पृथ्वी का आन्तरिक भाग मनुष्य के लिए दृश्य (Visible) नहीं है।


पृथ्वी की आन्तरिक संरचना को जानने के स्रोत

पृथ्वी की आन्तरिक संरचना की जानकारी देने वाले स्रोतों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है- अप्राकृतिक तथा प्राकृतिक स्रोत

• अप्राकृतिक स्रोत

पृथ्वी की संरचना के विषय में जानकारी के अप्राकृति स्रोत निम्न हैं

• घनत्व

पृथ्वी के भूपटल का अधिकांश भाग अवसादी चट्टानों का बना है, जिनका घनत्व लगभग 2.7 gem इसके नीचे आग्नेय चट्टानें हैं, जिनका घनत्व 3 gem से 3.5 gem -3 -3 के लगभग है। गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त के अनुसार, सम्पूर्ण पृथ्वी का घनत्व 5.5 gem 3 घनत्व के अधिक होने का सम्भावित कारण पृथ्वी के आन्तरिक भाग को भारी पदार्थों; जैसे-लोहा एवं निकल का बना हुआ माना गया है

दबाव

पृथ्वी के अन्तरतम के अधिक घनत्व के लिए, अन्दर की ओर जाने पर बढ़ते हुए दबाव को उत्तरदायी माना जाता है, लेकिन आधुनिक प्रयोगों से यह स्पष्ट है कि प्रत्येक चट्टान की एक सीमा होती है, जिससे अधिक उसका घनत्व नहीं हो सकता चाहे कितना भी अधिक क्यों न कर दिया जाए।

• अतः स्पष्ट है कि अन्तरतम का अधिक घनत्व दबाव के कारण नहीं है अपितु वह अधिक घनत्व वाले धातुओं से निर्मित है। इसके उपरी भाग कम घनत्व वाले रवेदार चट्टानों से बने हैं। पृथ्वी की सतह से 50 किमी की गहराई तक दबाव स्थल की अपेक्षा 13000 गुना अधिक होता है।

तापमान

पृथ्वी की बाह्य सतह से नीचे गहराई में जाने पर तापमान में औसतन 32 मी की गहराई पर 1°C की वृद्धि होती है, लेकिन गहराई के साथ तापमान में वृद्धि की दर धीमी हो जाती है। इसका कारण रेडियो सक्रिय पदार्थों का केवल पृथ्वी की ऊपरी परतों में संकेंद्रण है। यह उल्लेखनीय है कि अत्यधिक ताप के बावजूद पृथ्वी का क्रोड पूर्णतया पिघली अवस्था में नहीं है, बल्कि ऊपरी परतों के दबाव के कारण ठोस या अर्द्धतरल अवस्था में है।

• प्राकृतिक स्रोत

• इसके अन्तर्गत ज्वालामुखी उद्गार एवं भूकम्प विज्ञान के साक्ष्यों का प्रयोग पृथ्वी की संरचना को समझने के लिए किया जाता है।

• ज्वालामुखी उद्गार

ज्वालामुखी उद्भेदन के समय बड़ी मात्रा में लावा पृथ्वी के आन्तरिक भागों से निकलता है। अधिकांश ज्वालामुखियों का स्रोत 40 से 50 किमी की गहराई पर है। अतः ज्वालामुखी उद्गार से निकले मैग्मा से पृथ्वी की आन्तरिक संरचना का पता लगता है।

• भूकम्पीय तरंगें

• भूकम्पीय तरंगें मुख्यतः दो प्रकार की होती है-भू-गार्भिक तरंगें (PS तरंगे ) तथा धरातलीय तरंगे (I तरंग) भु-गर्भिक तरंगे (Body Waves) भूकम्प के उद्गम केन्द्र से ऊर्जा मुक्त होने के दौरान उत्पन्न होती है एवं पृथ्वी के आन्तरिक भागों से सभी दिशाओं में प्रसारित होती हैं। इन भू गार्भिक तरंगों एवं धरातलीय शैलों के मध्य अन्योन्य क्रिया के कारण नवीन तरंगे उत्पन्न होती हैं, जो धरातलीय तरंगें (Surface Waves) कही जाती हैं। इन तरंगों का वेग अलग-अलग घनत्व वाले पदार्थों से गुजरने पर परिवर्तित हो जाता है।

पृथ्वी का रासायनिक संगठन एवं विभिन्न परतें

• पृथ्वी की आन्तरिक संरचना को एडवर्ड स्वेस ने रासायनिक संगठन के आधार पर निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया है।

• सिवाल (Si Al)

• अवसादी चट्टानों के नीचे सियाल परत पाई जाती है। इसकी रचना सिलिका (Si) तथा एल्युमीनियम (AI) से हुई है, जिसके कारण इसे सियाल (Si+Al) कहा जाता है। इसकी औसत गहराई 50 से 300 किमी व घनत्व 2.75 से 2.90 gem 2-3 होता है। यह अम्लीय प्रकृति की होती है। यह ग्रेनाइट शैलों से बनी है। महाद्वीपों का निर्माण सियाल से ही हुआ है।

सीमा Simg

• सिवाल के नीचे सीमा परत होती है, जो सिलिका (Si) व मैग्नीशियम (Mg) से बनी होती है। यह 1000 से 2900 किमी की गहराई तक पाई जाती है। इसका घनत्व 2.90 से 4.75 gem है। यह परत बेसाल्ट शैलों की है, जिसमें क्षारीय अंश की प्रधानता है। यहाँ मैग्नीशियम, कैल्शियम एवं लोहे के सिलिकेट मिलते हैं।

• निफे (Nife)

• सीमा परत के नीचे पृथ्वी की तीसरी तथा अन्तिम परत निफे पाई जाती है, जिसमें निकिल (Ni) तथा लोहे (Fe) की प्रधानता है, यह 2900 किमी की गहराई से पृथ्वी के केन्द्र तक विस्तृत है। इसका घनत्व 11 से 12 gem तक है। पृथ्वी के आन्तरिक भाग में लोहे की उपस्थिति पृथ्वी की चुम्बकीय शक्ति को प्रमाणित करती है।